भोपाल आई! अब हर नजर पर राजधानी पुलिस की नजर

शहर के निजी और धार्मिक संस्थानों के बाहर लगे छह हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे की फीड अब पुलिस के लिए मददगार साबित होगी। प्रदेश में भोपाल पहला शहर होगा, जब भोपाल आई के तहत पब्लिक के कैमरे की फीड पुलिस सीधे देख सकेगी। इससे न केवल अपराधियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ेगा, बल्कि अपराध के खुलासे में भी पुलिस को मदद मिलेगी।


भोपाल पुलिस ने इसका स्लोगन बनाया है, अब हर नजर पर पुलिस की नजर...। भोपाल डीआईजी इरशाद वली ने शुक्रवार को पुलिस कंट्रोल रूम में भोपाल आई एप्लीकेशन का शुभारंभ किया। एएसपी सायबर क्राइम संदेश जैन ने बताया कि अभी शहर में ट्रैफिक और आईटीएमएस के 2000 से ज्यादा कैमरे पुलिस के लिए निगरानी कर रहे हैं।



जियो टैगिंग से एक जगह बैठकर होगी नजर: सभी छह हजार कैमरों की फीड, पुलिस आईपी लिंक के जरिए देख सकेगी। इसके लिए संस्थान से जुड़े व्यक्ति को भोपाल आई एप्लीकेशन अपने एंड्रॉयड फोन में डाउनलोड करनी होगी। नाम, ईमेल एड्रेस से रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपको एक ओटीपी मिलेगा। इससे लॉगइन करते ही एप्लीकेशन जियो लोकेशन लेगा फिर आपको अपने कैमरे की जानकारी (आईपी लिंक) भरनी होगी। इससे आपके कैमरे की लिंक पुलिस के साथ शेयर हो जाएगी।


पुलिस की जनता से अपेक्षा
निजी संस्थान संचालक अपने संस्थानों में अच्छी क्वालिटी के नाइट विजन कैमरे लगवाएं। रोड फेसिंग सीसीटीवी कैमरे लगवाएं ताकि बाहर का क्षेत्र भी कवर हो। कम से कम 3 माह का डाटा अनिवार्य रूप से सेव करके रखें। सीसीटीवी कैमरे चैक करते रहें, जरूरत पड़ने पर सुरक्षा गार्ड भी रखें।


अतिथि वेब एप्लीकेशन भी लॉन्च
डीआईजी ने अतिथि वेब एप्लीकेशन का भी शुभारंभ किया। इसमें आश्रम, बोर्डिंग हाउस, सर्किट हाउस, धर्मशाला, गेस्ट हाउस, छात्रावास, होटल, लॉज, मोटल, पेइंग गेस्ट रिसॉर्ट को इस एप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। यहां रोजाना ठहरने वाले अतिथियों और यात्रियों की फोटो समेत जानकारी अपलोड करनी होगी, जिससे पुलिस सीधे मॉनिटरिंग कर सके। फिलहाल ये व्यवस्था प्रदेश के 30 जिलों में लागू हो चुकी है। भोपाल में ऐसे 280 संस्थानों ने एप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन करवा लिया है।